Life begins at birth and ends with death. All the events between it are called life activities. This activity can be good and it can be bad. Lord Krishna taught Arjuna the Bhagavad-Gita to explain life.
There are certain circumstances in the life of human beings that make us dilemma, at that time we are unable to decide what we should do.To end this dilemma, Sri Krishna preached the Srimad Bhagavad Gita. Shrimad Bhagwat Geeta helps us understand the basic purpose of life, which is the eternal truth.
Lord Krishna gave a message of love and compassion while teaching karma. Krishna told the whole world that when we adopt love and compassion, there is an atmosphere of happiness, peace and bliss in our lives.When we turn away from love and compassion, our life is filled with sorrows. Lord Shri Krishna gave some rules for life which we know as Srimad Bhagavad Gita.
The solution to all the problems of our life lies in the Srimad Bhagavad Gita and the Ramcharit Manas. Therefore, every person should follow the rules of Srimad Bhagavad Gita in his life.
जीवन जन्म के समय शुरू होता है और मृत्यु के साथ समाप्त होता है। इसके बीच की सभी घटनाओं को जीवन की गतिविधि कहा जाता है। यह गतिविधि अच्छी हो सकती है और यह खराब हो सकती है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन की व्याख्या करने के लिए भगवद गीता सिखाई। p>
मनुष्य के जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हैं जो हमें दुविधा में डालती हैं, उस समय हम यह तय नहीं कर पाते हैं कि हमें क्या करना चाहिए। p>
इस दुविधा को समाप्त करने के लिए, श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता का प्रचार किया। श्रीमद् भागवत गीता हमें जीवन के मूल उद्देश्य को समझने में मदद करती है, जो शाश्वत सत्य है।
भगवान कृष्ण ने कर्म सिखाते हुए प्रेम और करुणा का संदेश दिया। कृष्ण ने पूरी दुनिया को बताया कि जब हम प्यार और करुणा को अपनाते हैं, तो हमारे जीवन में खुशी, शांति और आनंद का माहौल होता है। p>
जब हम प्यार और करुणा से दूर हो जाते हैं, तो हमारा जीवन दुखों से भर जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के लिए कुछ नियम बताए जिन्हें हम श्रीमद भगवद गीता के रूप में जानते हैं। p>
हमारे जीवन की सभी समस्याओं का हल श्रीमद्भगवद् गीता और रामचरित मानस में है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में श्रीमद भागवत गीता के नियमों का पालन करना चाहिए।
हमारे जीवन में धर्म और शास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। धर्म और शास्त्र हमें यह उपदेश करते हैं, कि हमें इस जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। जब हम धर्म से विमुख होते हैं तो निश्चित रूप से हम गलत मार्ग पर चलने लगते हैं, जिसका परिणाम दुख के रूप में हमारे सामने परिमार्जित होता है।
बुद्धिमान पुरुष को हमेशा यह चाहिए कि वह धर्म का साथ ना छोड़े शास्त्र की डोर को कभी ना छोड़े हमेशा सदमार्ग पर चलने का प्रयास करें। यह कार्य आसान नहीं है लेकिन यदि लगातार कोशिश किया जाए तो मुश्किल भी नहीं है। धर्म और शास्त्र एक सच्चे गुरु की भांति हमें हर वक्त सही राह दिखाने का कार्य करते हैं, जिसने भी शास्त्र के महत्व को समझ लिया, जिसने धर्म के महत्व को समझ लिया वह जीवन में कभी भी इससे विमुख नहीं हो सकता।
वे लोग बहुत ही सौभाग्यशाली हैं जिन्हें धर्म का साथ मिलता है, लेकिन दुर्भाग्य है जब यह धर्म और शास्त्र किसी कारणवश दूषित हो जाए तो फिर आम जनमानस का मार्ग भी डगमगाने लगता है। हमें हर तरह से यह कोशिश करनी चाहिए की धर्म और शास्त्र को अपनाएं और सच्चे मार्ग पर चलने का प्रयास करें, यही तो हम सबका सच्चा गुरु है।
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मनुष्य का जीवन एक तरह की यात्रा है इस यात्रा में तमाम तरह के परेशानियां और सुखद अनुभूतियां भी होती है जब हमें सुखद अनुभूति होती हैं तो हमें सुख का आनंद होता है, धर्म एक ऐसा मार्ग है जो निष्पक्ष रहते हुए प्रत्येक मनुष्य को सत्य का मार्ग दिखाता है |
हमारे जीवन में घरेलू कलह, ग्रह दोष, पित्र दोष, कुंडली दोष, व्यापार में बाधा, विवाह में विलंब और संतान उत्पन्न में विलंब न जाने कितने तरह की समस्याएं हमारे दरवाजे पर दस्तक देती हैं यदि हम ईस्वर के बताये हुए मार्ग पर चलते हुए उपाय करते हैं तो अवश्य ही हमें सफलता मिलती है |
पूरी दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहला जो धर्म में और सत्य में विश्वास रखते हैं, दूसरे वे जो ना तो धर्म को मानते, नहीं सत्य को, उनका अहंकार ही उन्हें रोकता है, इनका सिद्धांत खुद का होता है और इन्हीं सिद्धांत की वजह से परेशानियों के समुद्र में डूबते चले जाते हैं यहां से निकल पाना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि सत्य कहा गया है जब हम सही दिशा में जाते हैं तो हमें मंजिल मिलती है, लेकिन जब हम गलत दिशा में बढ़ते जाते हैं तो हमें मंजिल नहीं मिलती और तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है | अतः आवश्यक है कि समय के साथ हम चलें और जरूरत पड़ने पर जप तप ब्रत सत्संग तंत्र मंत्र अनुष्ठान का सहारा ले यही उचित है |